June 14, 2012

भावनाओं को समझो

भारत माँ के
हम सब बच्चे
अरबो में है
गिन के कच्छे
लाल, नारंगी, हरे, पीले
पहने लगे अच्छे
पर किस्मत से ढीले
कितनो की, माँ तो ...
कच्छे नहीं है
सरकार की कृपा
इन पर अच्छी नहीं है
भूखे नंगे
घूमते साले
बड़े होकर
क्राईम के हवाले

इनकी क्या कहें ...
आम आदमी भी है परेशान
तेल की माँ की ...
बाक़ी आईटम पर भी
सरकार मेहरबान !!

क्या अदा, क्या जलवे, तेरे पारो ...
ऐसी दुश्मनी हम पे न उतारो

खैर ...

बात शुरू हुयी कहाँ से हुयी
और चली कहाँ गयी ...
हाल वही है कच्छों की ...
कहाँ उतर गयी.



** राजश्री पान मसाला. अच्छा खाईये. निश्चिन्त रहिये.

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