भारत माँ के
हम सब बच्चे
अरबो में है
गिन के कच्छे
लाल, नारंगी, हरे, पीले
पहने लगे अच्छे
पर किस्मत से ढीले
कितनो की, माँ तो ...
कच्छे नहीं है
सरकार की कृपा
इन पर अच्छी नहीं है
भूखे नंगे
घूमते साले
बड़े होकर
क्राईम के हवाले
इनकी क्या कहें ...
आम आदमी भी है परेशान
तेल की माँ की ...
बाक़ी आईटम पर भी
सरकार मेहरबान !!
क्या अदा, क्या जलवे, तेरे पारो ...
ऐसी दुश्मनी हम पे न उतारो
खैर ...
बात शुरू हुयी कहाँ से हुयी
और चली कहाँ गयी ...
हाल वही है कच्छों की ...
कहाँ उतर गयी.
** राजश्री पान मसाला. अच्छा खाईये. निश्चिन्त रहिये.
+
Wow, nice one...So now a days u r concentrating on chhaddis
ReplyDeleteyou don't need to as they've become part and parcel of our daily lives: thanks for your appreciation Raj :)
DeleteSir bhout hi shandar likha hai aap ne good keep it up
ReplyDeleteThanks Aamir.
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